खा गयी गरीबी बचपन को
मजबूरी निगल गयी स्वाभिमान को
भूख ने थोड़ी चोरी सिखा दी
हालात पी गए खुशियों को
और इस तरह पूरे जीवन को लकवा मार गया।
पीयूष सिंह
मजबूरी निगल गयी स्वाभिमान को
भूख ने थोड़ी चोरी सिखा दी
हालात पी गए खुशियों को
और इस तरह पूरे जीवन को लकवा मार गया।
पीयूष सिंह
No comments:
Post a Comment