ये कोई भूत नहीं
और न ही कोई चमत्कार है।
अरे! देखो लोगों देखो,
मुर्दों की बस्ती में,
इक मुर्दा जी उठा है।
सदियों से मृत इस बस्ती में,
आज एक मुर्दे ने
एक सपना देखा है
और फिर से जीने की चाह प्रकट की है।
तो क्या ये कोई गुनाह है?
गुनाह तो नहीं,
पर कुछ लोग, जो जीवित हैं,
इसे गुनाह मानते हैं,
और उनकी इस चाह को
कर्बिस्तान में दफनाते हैं।
शायद वे डरते हैं कि
अगर कहीं कोई मुर्दा जी उठा
तो वे मृत न हो जाएँ।
इसलिए जीने के लिए लड़ो
मगर प्यार से।
राह में तुम्हें जो कोई भी,
इस स्वरचित मृत्यु की
गोद में सुप्त दिखाई दे,
उसे जगाओ और ये समझाओ,
कि मनुष्य संसार में सिर्फ
एक बार ही मरता है।
पीयूष सिंह
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