Saturday, 23 April 2011

आत्मकथा : एक कमरे के घर में रहने वालों की

जो एक कमरे के घर में रहते हैं
उनके दिल अक्सर बड़े होते हैं
बातें पहले तो करते नहीं, और करी
तो बातों के पक्के बड़े होते हैं ।
दर से उनके खाली कोई नहीं जाता
जेबें खाली भले पड़ी हों, कुछ भी न हो देने को
पर दुआओं के धनी बड़े होते हैं ।
जो एक कमरे के घर में रहते हैं
उनके दिल अक्सर बड़े होते हैं ।

कमरे एक से दो भले न हो पायें
पर महलों के सपने बड़े होते हैं
सपना होगा सच, ये एक दिन
इसी कोशिश में बच्चे बड़े होते हैं ।
बच्चे भी शायद सब जान जाते हैं
नहीं कहेंगे चलने को मेले में, चुपचाप रहेंगे
इनके बच्चे भी कितने बड़े होते हैं ।
जो एक कमरे के घर में रहते हैं
उनके दिल अक्सर बड़े होते हैं ।

कोई इनका सगा हो न हो
पर ये सबके लिये खडे़ होते हैं
क्या बिगाड़ते हैं ये किसी का,
क्यों लोग इनके पीछे पड़े होते हैं ?
इसिलिये बडे़ कहते हैं शायद
गरीब को न सताओ, कोई नहीं जानता
भगवान किस रूप में खडे़ होते हैं ।
जो एक कमरे के घर में रहते हैं
उनके दिल अक्सर बड़े होते हैं ।


पीयूष सिंह

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